Friday, April 26, 2019

बिलकिस बानो केस: सुप्रीम कोर्ट ने 50 लाख रुपये और सरकारी नौकरी देने का दिया आदेश

BALKIS BANO CASE: Supreme Court gives Rs 50 lakh and government order


गुजरात सरकार ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को सूचित किया कि इस मामले में चूक करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल 2019 को गुजरात सरकार को बिलकिस बानो के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा, सरकारी नौकरी और आवास देने का निर्देश दिया है. बिलकिस बानो साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुईं थी.
गुजरात सरकार ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को सूचित किया कि इस मामले में चूक करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. उनके पेंशन लाभ रोक दिए गए हैं और बॉम्बे उच्च न्यायालय ने जिस आइपीएस अधिकारी को दोषी माना है, उसे दो रैंक डिमोट किया गया है.
गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो को मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये देने का प्रस्‍ताव दिया था, जिसे उन्‍होंने ठुकरा दिया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका में राज्य सरकार से अनुकरणीय मुआवजे की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्‍ता और संजीव खन्‍ना की बेंच ने मुआवजा राशि 10 गुना बढ़ा दिया.
सीबीआई ने चार्जशीट में 18 लोगों को दोषी पाया
 था:
सीबीआई ने चार्जशीट में 18 लोगों को दोषी पाया था. इसमें 5 पुलिसकर्मी समेत दो डॉक्टर भी शामिल थे जिन्होंने आरोपी की मदद करने के लिए सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप था.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
   सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को मामले में गलत जांच करने में दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के बाद उन पर तुरंत सजा लागू करने का आदेश दिया है.
   कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा कि वह नियमों के मुताबिक बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा, एक सरकारी नौकरी और आवास मुहैया कराए.
   कोर्ट ने गुजरात सरकार निर्देश दिया था कि बिलकिस बानो मामले में दोषी ठहराए गए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दो सप्ताह के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई पूरी की जाए.
बिलकिस बानो केस: क्या था पूरा मामला?
   27 फरवरी को गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए. इस दंगे में बड़े पैमाने पर जनसंहार हुआ था. इसी के कुछ दिन बाद 3 मार्च 2002 को अहमदाबाद के पास रंधीकपुर गांव में बिलकीस बानो के परिवार पर भीड़ ने हमला कर दिया था.
   इस हमले में बिलकीस के 2 साल की बेटी सहित उसके परिवार के 14 लोगों की हत्या कर दी गई थी. बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था. उस वक्त वे 5 महीने की गर्भवती थीं.
   बिलकिस बानो केस की शुरुआती जांच अहमदाबाद में शुरू हुई. सीबीआई ने 19 अप्रैल 2004 को अपनी चार्जशीट दाखिल की. इसके बाद बिलकिस बानो ने यह आशंका जाहिर की थी कि गवाहों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है और सीबीआई के साक्ष्यों से छेड़छाड़ की जा सकती है.
   सुप्रीम कोर्ट ने बिलकीस बानो की मांग पर 6 अगस्त 2004 में मामले को मुंबई ट्रांसफर कर दिया था. विशेष अदालत ने 21 जनवरी 2008 को दिए अपने फैसले में बिलकीस के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या करने के मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया था.

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